shiv chalisa lyrics Fundamentals Explained
shiv chalisa lyrics Fundamentals Explained
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देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
तज्ञमज्ञान – पाथोधि – घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं ।
शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी - राम भजन
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
अर्थ- आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले check here कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
कहा जाता है कि भगवान शिव की पूजा जितनी की जाए उतनी ही कम है भगवान शिव की कृपा भी सबसे अधिक मानी जाती है क्योंकि जो व्यक्ति शिव भगवान की पूजा करता है और भगवान शिव अगर उस पर प्रसन्न होते हैं तो उस पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं तथा उनकी प्रत्येक मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
अस्तुति चालीसा शिविही, सम्पूर्ण कीन कल्याण ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥